श्वेत क्रांति के जनक डॉ. वर्गीज कुरियन ने ऑपरेशन फ्लड के साथ भारत के डेयरी उद्योग को बदल दिया, जिससे भारत दुनिया का सबसे बड़ा दूध उत्पादक बन गया। उनके सहकारी मॉडल ने ग्रामीण किसानों को सशक्त बनाया, उनकी आजीविका में सुधार किया और दूध उत्पादन को बढ़ावा दिया। कुरियन के योगदान के लिए उन्हें रेमन मैग्सेसे पुरस्कार और पद्म विभूषण जैसे पुरस्कार मिले।
भारत के हरे-भरे खेतों में, जहां लाखों लोग खेती पर निर्भर हैं, एक ऐसा नायक उभरा जिसने डेयरी उद्योग में एक बड़ा बदलाव लाया। डॉ. वर्गीज कुरियन, जिन्हें “श्वेत क्रांति के पिता” (Father of the White Revolution) के नाम से जाना जाता है, ने भारत को दुनिया के सबसे बड़े दूध उत्पादक राष्ट्र में बदल दिया। यह सिर्फ संख्या का खेल नहीं था; यह ग्रामीण किसानों को सशक्त बनाने, घरों में खुशहाली लाने और नवाचार की कहानी को सामने लाने की बात थी।
चलिये, इस दूरदर्शी की यात्रा की गहराई में जाकर जानते हैं, जिनके दूध के प्रति जुनून ने एक राष्ट्र का भाग्य बदल दिया और ग्लोबल डेयरी मानचित्र पर एक खास छाप छोड़ी।
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
भारत लौटने पर, कुरियन ने गुजरात के आनंद में सरकारी क्रीमरी में एक अधिकारी के रूप में काम करना शुरू किया। इस मामूली स्थिति ने न केवल उनके लिए, बल्कि पूरे भारतीय डेयरी उद्योग के लिए एक परिवर्तनकारी यात्रा की शुरुआत की। स्थानीय किसानों, विशेष रूप से त्रिभुवनदास पटेल के साथ साझेदारी में, कुरियन ने कैरा जिला सहकारी दुग्ध उत्पादक संघ की स्थापना की। यह पहल अमूल सहकारी ब्रांड के रूप में विकसित होगी, जिसने भारत में डेयरी परिदृश्य में क्रांति ला दी।
कुरियन की उद्यमशीलता की दृष्टि और नवीन तकनीकों ने यह सुनिश्चित किया कि डेयरी उत्पादों से होने वाला लाभ किसानों को वापस किया जाए, जिससे उन्हें सशक्त बनाया जा सके और प्रसिद्ध श्वेत क्रांति की ओर अग्रसर किया जा सके। उनके नेतृत्व में, ऑपरेशन फ्लड शुरू किया गया, जिसने दूध उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि की और भारत को दुनिया के सबसे बड़े दूध उत्पादक में बदल दिया। 30 वर्षों में, प्रति व्यक्ति दूध की उपलब्धता दोगुनी हो गई, और कुल मिलाकर दूध उत्पादन में चार गुना वृद्धि हुई।
व्यावसायिक यात्रा और उपलब्धियां
भारत लौटकर, कुरियन ने त्रिभुवनदास पटेल के साथ मिलकर कैरा जिला सहकारी दुग्ध उत्पादक संघ की स्थापना की, जो बाद में अमूल (Amul) ब्रांड के रूप में विकसित हुआ। उनके नेतृत्व में ऑपरेशन फ्लड शुरू किया गया, जिसने दूध उत्पादन में जबरदस्त वृद्धि की और भारत को दुनिया का सबसे बड़ा दूध उत्पादक बना दिया। 30 वर्षों में, प्रति व्यक्ति दूध की उपलब्धता दोगुनी हो गई और दूध उत्पादन में चार गुना वृद्धि हुई।
डॉ. कुरियन की विरासत
डॉ. वर्गीज कुरियन की विरासत गहरी और स्थायी है। उनके प्रयासों ने भारत को दुनिया का सबसे बड़ा दूध उत्पादक बनाया और लाखों ग्रामीण डेयरी किसानों की ज़िंदगी बदल दी। अमूल ब्रांड उनकी दृष्टि का प्रतीक है और देश के प्रमुख डेयरी ब्रांडों में से एक है। उनके काम ने कई पहलों को प्रेरित किया और वे नवाचार, दृढ़ संकल्प और सामाजिक उद्यमिता के प्रतीक बने।
श्वेत क्रांति का जनक क्यों
डेयरी उद्योग में उनके परिवर्तनकारी योगदान के कारण कुरियन को भारत में “श्वेत क्रांति का जनक” माना जाता है। उन्होंने इस क्षेत्र को एक छोटी, खंडित इकाई से एक बड़े, आत्मनिर्भर उद्योग में बदल दिया जो लाखों लोगों को रोजगार प्रदान करता है और अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान देता है। उनका काम सहकारी संघवाद के सिद्धांत पर आधारित था, जो छोटे किसानों को एकजुट करने और मजबूत संगठन बनाने में सक्षम बनाता था जो बड़े खरीदारों के साथ बातचीत कर सकते थे। उन्होंने डेयरी किसानों के लिए शिक्षा और प्रशिक्षण के महत्व पर भी जोर दिया।
ऑपरेशन फ्लड, कुरियन द्वारा शुरू किया गया, एक विशाल कार्यक्रम था जिसका उद्देश्य दूध उत्पादन बढ़ाना और डेयरी किसानों के जीवन में सुधार करना था। यह एक शानदार सफलता थी, जिसने 30 वर्षों में भारत के दूध उत्पादन को चार गुना बढ़ा दिया और डेयरी क्षेत्र में लाखों नौकरियों का सृजन किया। इस कार्यक्रम ने लाखों ग्रामीण परिवारों की आय में काफी सुधार किया।
कुरियन के काम को रेमन मैग्सेसे पुरस्कार, विश्व खाद्य पुरस्कार और गांधी शांति पुरस्कार सहित कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है। उन्हें भारत के तीसरे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्म विभूषण से भी सम्मानित किया गया था। ये सम्मान उनके दूरदर्शी नेतृत्व और भारतीय कृषि पर स्थायी प्रभाव को दर्शाते हैं।
डेयरी विकास पर असर
डॉ. कुरियन का डेयरी विकास पर बड़ा प्रभाव रहा है:
- श्वेत क्रांति: कुरियन के नेतृत्व में ऑपरेशन फ्लड ने भारत को दूध की कमी वाले देश से दुनिया के सबसे बड़े दूध उत्पादक देश में बदल दिया।
- अमूल की स्थापना: कुरियन और त्रिभुवनदास पटेल ने कैरा जिला सहकारी दूध उत्पादक संघ की स्थापना की, जिससे अमूल ब्रांड का निर्माण हुआ, जो किसानों के लिए उच्च गुणवत्ता वाले डेयरी उत्पादों का प्रतीक है।
- किसानों का सशक्तिकरण: कुरियन का सहकारी मॉडल सुनिश्चित करता है कि किसानों को लाभ मिले, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार हुआ।
- तकनीकी प्रगति: कुरियन ने आनंद (IRMA) और राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (NDDB) की स्थापना की, जिन्होंने दूध भंडारण, परिवहन और वितरण के लिए नए समाधान विकसित किए।
पुरस्कार और सम्मान
भारत में डेयरी क्षेत्र के उत्थान के लिए डॉ. वर्गीज कुरियन के अथक प्रयासों ने उन्हें कई पुरस्कार दिलाए। रेमन मैग्सेसे पुरस्कार, विश्व खाद्य पुरस्कार, गांधी शांति पुरस्कार और पद्म विभूषण सहित ये पुरस्कार और सम्मान उनके समर्पण और क्रांतिकारी प्रभाव को रेखांकित करते हैं, जिससे डेयरी विकास में एक वैश्विक आइकन के रूप में उनकी स्थिति मजबूत होती है।
डॉ. वर्गीज कुरियन का जीवन और कार्य एक प्रेरणा बने हुए हैं, जो एक राष्ट्र की नियति को बदलने के लिए दृष्टि, नवाचार और समर्पण की शक्ति का प्रदर्शन करते हैं।
डॉ. वर्गीज कुरियन के पुरस्कार और सम्मान
वर्ष | पुरस्कार | पुरस्कार देने वाली संस्था |
1963 | रामोन मैग्सेसे पुरस्कार | रामोन मैग्सेसे पुरस्कार फाउंडेशन |
1965 | पद्म श्री | भारत सरकार |
1966 | पद्म भूषण | भारत सरकार |
1986 | कृषि रत्न | भारत सरकार |
1986 | वाटेलर पीस प्राइज | कार्नेगी फाउंडेशन |
1989 | वर्ल्ड फूड प्राइज | विश्व खाद्य पुरस्कार फाउंडेशन |
1993 | अंतर्राष्ट्रीय पर्सन ऑफ द ईयर | वर्ल्ड डेयरी एक्सपो |
1997 | ऑर्डर ऑफ एग्रीकल्चर मेरिट | कृषि मंत्रालय, फ्रांस |
1999 | पद्म भूषण | भारत सरकार |