मदर डेयरी बढ़ती उत्पादन लागत के कारण 3 जून, 2024 से ताजा दूध की कीमतों में 2 रुपये प्रति लीटर की वृद्धि कर रही है। यह बढ़ोतरी सभी बाजारों, विशेष रूप से दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र को प्रभावित करेगी, जहां कंपनी प्रतिदिन लगभग 35 लाख लीटर की बिक्री करती है। मूल्य समायोजन अमूल द्वारा समान वृद्धि का अनुसरण करता है, जो उच्च परिचालन लागत और जलवायु से संबंधित तनाव सहित व्यापक उद्योग चुनौतियों को दर्शाता है।
बढ़ती उत्पादन लागत के जवाब में, मदर डेयरी (Mother Dairy) ने ताजा दूध के लिए 2 रुपये प्रति लीटर की मूल्य वृद्धि की घोषणा की है, जो 3 जून, 2024 से प्रभावी है। यह समायोजन उन सभी बाजारों को प्रभावित करेगा जहां कंपनी काम करती है, विशेष रूप से दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र सहित, जो ब्रांड के लिए एक प्रमुख केंद्र है।
यहाँ मूल्य वृद्धि, दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र के लिए इसके प्रभाव और व्यापक उद्योग के रुझानों पर एक विस्तृत नज़र डालें।
कीमतों में बढ़ोतरी का ऐलान
3 जून से, मदर डेयरी के दूध के नए दाम कुछ इस तरह होंगे:
- भैंस का दूध: 72 रुपये प्रति लीटर
- गाय का दूध: 58 रुपये प्रति लीटर
- टोकन दूध: 54 रुपये प्रति लीटर
यह बढ़ोतरी बढ़ती हुई उत्पादन लागत के कारण हो रही है, जो पिछले एक साल से लगातार बढ़ रही है। इसमें चारा, श्रम, और परिवहन के खर्च शामिल हैं, और गर्मी के कारण दूध उत्पादन में कमी भी हो रही है।
दिल्ली-एन.सी.आर पर असर
दिल्ली-एन.सी.आर में, जहां मदर डेयरी प्रतिदिन लगभग 35 लाख लीटर दूध बेचती है, इस नई कीमत का सीधा असर बड़े पैमाने पर होगा। यहां के बहुत से लोग अपनी रोजमर्रा की दूध की सप्लाई के लिए मदर डेयरी पर निर्भर हैं, और इस बढ़ोतरी से उनका घरेलू बजट प्रभावित हो सकता है, खासकर उन लोगों के लिए जो पहले से ही तंग बजट में हैं।
उद्योग में बढ़ती कीमतों का चलन
मदर डेयरी की इस बढ़ोतरी के पीछे एक बड़ा ट्रेंड भी है। अमूल जैसी बड़ी कंपनियों ने भी हाल ही में दूध की कीमतें 2 रुपये प्रति लीटर बढ़ाई हैं। यह ट्रेंड डेयरी उद्योग की बढ़ती चुनौतियों को दिखाता है।
डेयरी इंडस्ट्री कई वजहों से दबाव में है:
- जलवायु तनाव: गर्मी की वजह से दूध उत्पादन पर बुरा असर पड़ा है, जिससे लागत बढ़ गई है।
- बढ़ते खर्च: चारा, श्रम, और परिवहन के खर्च भी बढ़ गए हैं।
- आर्थिक दबाव: मुद्रास्फीति और अन्य आर्थिक हालात भी लागत को प्रभावित कर रहे हैं।
मदर डेयरी की दूध की कीमतों में बढ़ोतरी यह दिखाती है कि डेयरी उद्योग दबाव में है। जैसे-जैसे उत्पादन लागत बढ़ रही है, उपभोक्ताओं और उत्पादकों दोनों पर इसका असर पड़ रहा है। यह बढ़ोतरी दिखाती है कि प्रमुख डेयरी कंपनियों को अपने खर्चों को मैनेज करते हुए चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों का सामना करना पड़ रहा है।
डेयरी मार्केट में इस तरह की बढ़ोतरी से न सिर्फ उपभोक्ताओं की लागत पर असर पड़ेगा बल्कि दूध उत्पादन की पूरी प्रक्रिया भी प्रभावित होगी। यह साफ है कि उद्योग को इन समस्याओं से निपटने के लिए जल्द और लंबे समय तक चलने वाली दोनों तरह की रणनीतियों की जरूरत है।